02 May, 2021

vyanjan sandhi in hindi rule-10, 11, 12 / व्यंजन संधि नियम-10, 11, 12 हिंदी व्याकरण

नियम 10

प्रथम पद में कहीं पर भी , र् या ष् तथा द्वितीय पद में कहीं पर भी हो तो का हो जाता है।प्रथम पद   या ष् यथावत रहते हैं।

/र्/ष् + = यथावत+  



 

नियम 10 के  उदाहरण

भर् + अन = भरण,

 भूष् + अन =  भूषण,

 प्र  +  मान = प्रमाण,

 परि  +  मान = परिमाण,

 परि  +  नाम = परिणाम,

राम  +  अयन = रामायण,

परि  +  नय = परिणय,

नर  +  अयन = नारायण,

ऊष्  +   = ऊष्ण,

हर  +   = हरण,

शर  +   = शरण,

विष्  +  नु = विष्णु,

कृष् + = कृष्ण,

कृष् + ना =  कृष्णा,

पुरा + = पुराण आदि।

 

नियम 11

किसी स्वर का मेल छ् से हो तो छ् के स्थान पर ” च्छ्” हो जाता है। (च् का आगम हो जाता है।)  

स्वर + छ्    =  च् का आगम + छ्  यथावत

 

नियम 11 के उदाहरण

अनुछेद = अनुच्छेद,

परि +  छेद = परिच्छेद,

+  छादन = आच्छादन,

स्व + छन्द = स्वच्छंद,

वृक्ष + छाया = वृक्षच्छाया।

 

नियम 12

प्रथम पद के अंत में या के अलावा अन्य कोई स्वर जाए और द्वितीय पद का प्रथम वर्ण स् हो तो स् के स्थान पर ष् हो जाता है।

स्वर(/X) + स्  = ष्

 

नियम 12 के  उदाहरण

अभिसेक = अभिषेक,

वि +  सम = विषम,

सु + सुप्त  = सुषुप्त,

सु + समा = सुषमा,

अभि + सिक्त = अभिषिक्त।

(अपवादः- वि + सर्ग = विसर्गअनु + सार = अनुसारवि + स्मरण = विस्मरणवि + सर्जन = विसर्जन)

 

सम्पूर्ण व्याख्या सहित विडियो देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें-

https://youtu.be/zixH2Td-fDA

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