परिभाषा-
करण तत्पुरुष समास में करण कारक का विभक्ति चिह्न “से/के द्वारा” का लोप होता है तथा समास विग्रह करने पर करण कारक का विभक्ति चिह्न वापस जोड़ दिया जाता है।
शोकाकुल = शोक से आकुल
भयाकुल = भय से आकुल
शोकातुर = शोक से आतुर
गुरुदत्त = गुरु द्वारा दत्त
रोगपीड़ित = रोग से पीडित
रोगग्रस्त = रोग से ग्रस्त
ज्वरग्रस्त = ज्वर से ग्रस्त
शोकग्रस्त = शोक से ग्रस्त
अभावगस्त = अभाव से ग्रस्त
वाग्युद्ध = वाक् (वाणी) से युद्ध
मनमाना = मन से माना हुआ
मनचाहा = मन से चाहा
मनगढ़ंत = मन से गढ़ा हुआ
शराहत = शर से आहत
बाणाहत = बाण से आहत
भूखमरा = भूख से मरा
भूखमरी = भूख से मरी
अकालपीड़ित = अकाल से पीड़ित
ईश्वरप्रदत्त = ईश्वर द्वारा प्रदत्त
ईश्वरदत्त = ईश्वर द्वारा दिया गया
रेखांकित = रेखा के द्वारा अंकित
मदमस्त = मद (नशे) से मस्त
कपड़छन = कपड़े से छाना हुआ
हस्तलिखित = हस्त से लिखित
अनुभवजन्य = अनुभव से जन्य
आँखोँदेखा = आँखोँ से देखा
आँखोंदेखी = आँखों से देखी
रत्नजड़ित = रत्न से जड़ित
मुँहमाँगा = मुँह से माँगा
स्वयंसिद्ध = स्वयं से सिद्ध
वचनबद्ध = वचन से बद्ध
क्षुधातुर = क्षुधा से आतुर
जग-हँसाई = जग के द्वारा हँसी
लताच्छादित = लता से आच्छादित
जन्मरोगी = जन्म से रोगी
मनगढ़ंत = मन से गढ़ा हुआ
करुणापूर्ण = करुणा से पूर्ण
कष्टसाध्य = कष्ट से साध्य
रसभरा = रस से भरा
मोहांध = मोह से अंधा
मदांध = मद से अँधा
अश्रुपूर्ण = अश्रु से पूर्ण
दोषपूर्ण = दोष से पूर्ण
दयार्द्र = दया से आर्द्र
जलावृत = जल से आवृत
गुणयुक्त = गुणों से युक्त
भयाक्रांत = भय से आक्रांत
भावाभिभूत = भाव से अभिभूत
युक्तियुक्त = युक्ति से युक्त
धर्मयुक्त धर्म से युक्त
दुःखभरी = दुःख से भरी
स्वरचित = स्व द्वारा रचित
तुलसीकृत - तुलसी द्वारा कृत
सूररचित : सूर द्वारा रचित
सूरकृत – सूर द्वारा कृत
वाल्मीकिरचित: वाल्मीकि द्वारा रचित
शल्यचिकित्सा – शल्य (चीर-फाड़) से चिकित्सा
मेघाच्छन्न - मेघ से आच्छन्न (ढका हुआ)
हिमाच्छादित = हिम से आच्छादित
फलाच्छादित= फलों से आच्छादित
आचार्कुशल : आचार से कुशल
क्रयान्विति = क्रिया के द्वारा अन्विति
व्यवहारकुशल = व्यवहार से कुशल
विधिनिर्मित = विधि के द्वारा निर्मित
महिमामंडित = महिमा से मंडित
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