परिभाषाः-
अधिकरण तत्पुरुष समास में अधिकरण कारक का विभक्ति चिह्न “में/पर” का लोप होता है तथा समास विग्रह करने पर अधिकरण कारक का विभक्ति चिह्न वापस जोड़ दिया जाता है।
ग्रामवास = ग्राम में वास
लोकप्रिय = लोक में प्रिय
शोकमग्न = शोक में मग्न
जलमग्न = जल में मग्न
शरणागत = शरण में आगत
दानवीर = दान देने में वीर
दीनदयाल = दीनों पर दयाल
धर्मरत = धर्म में रत
कार्यरत = कार्य में रत
वाक्पटु = वाक् में पटु
वाग्वीर = वाक् में वीर
वाक्चातुर्य = वाक् में चातुर्य
मध्यांतर = मध्य में अंतर
रणवीर = रण में वीर
पराश्रित = पर पर आश्रित
धर्मप्रवृत = धर्म में प्रवृत
देशाटन = देश में अटन
तीर्थाटन = तीर्थ में अटन
स्वर्गवास = स्वर्ग में वास
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आत्मविश्वास= आत्म पर विश्वास
आनन्दमग्न = आनन्द में मग्न
आचारनिपुण = आचार में निपुण
आत्मनिर्भर = आत्म पर निर्भर
मुनिश्रेष्ठ = मुनियों में श्रेष्ठ
कलाश्रेष्ठ = कला में श्रेष्ठ
नीतिकुशल = नीति में कुशल
कलाकुशल = कला में कुशल
कलानिपुण = कला में निपुण
काव्यनिपुण = काव्य में निपुण
कार्यकुशल = कार्य में कुशल
कर्माधीन = कर्म पर आधीन
कर्मनिष्ठ = कर्म में निष्ठ
ध्यानमग्न = ध्यान में मग्न
नराधम = नरों में अधम
नरश्रेष्ठ = नरों में श्रेष्ठ
पुरुषोत्तम = पुरुषों में उत्तम
नरोत्तम = नरों में उत्तम
सर्वोत्तम = सर्व में उत्तम
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