26 April, 2021

yan sandhi in hindi / यण स्वर संधि, स्वर संधि, हिंदी व्याकरण

परिभाषा

जब /,/, के आगे कोई भी भिन्न स्वर आता है तो / का - य् और / का - व् और का - र्  हो जाता है तथा दूसरे पद का प्रथम वर्ण यथावत रहता है, वह सन्धि यण स्वर कहलाती है।

/ + भिन्न स्वर =   य् + भिन्न स्वर  यथावत

/ + भिन्न स्वर =  व् + भिन्न स्वर  यथावत

+ भिन्न स्वर =    र् +  भिन्न स्वर यथावत

 


/ + भिन्न स्वर = य् + भिन्न स्वर  यथावत- के उदाहरण

मति + अनुसार = मत्यनुसार,

 रीति + अनुसार = रीत्यनुसार,

 प्रति + आर्वतन = प्रत्यावर्तन,

 प्रति + एक = प्रत्येक,

प्रति + अक्ष = प्रत्येक्ष,

 इति + आदि = इत्यादि,

 यदि + अपि = यद्यपि,

 अति + अधिक = अत्यधिक,

 अधि + आपक = अध्यापक,

 अति + आवश्यक = अत्यावश्यक,

 अति + आधुनिक = अत्याधुनिक,

 अधि +  आदेश = अध्यादेश,

 अधि + अक्ष = अध्यक्ष,

 अभि + अर्थी = अभ्यर्थी,

 अति + आचार = अत्याचार,

 देवी + आलय = देव्यालय,

 वि + आस = व्यास,

 वि + अय = व्यय,

 नि + ऊन = न्यून,

 परि + अंक = पर्यंक,

 प्रति + आशा = प्रत्याशा आदि।

 

/ + भिन्न स्वर = व् + भिन्न स्वर  यथावत- के उदाहरण

तनु + अंगी = तन्वंगी,

 अनु + अय = अन्वय,

 सु + अल्प = स्वल्प,

सु + अच्छ = स्वच्छ,

 सु + आगत = स्वागत,

 अनु + इति = अन्विति,

 अनु + एषण = अन्वेषण,

 वधू + आगमन = वघ्वागमन,

 मधु + अरि = मध्वरि,

 मधु + आचार्य = मध्वाचार्य, आदि।

 

+ भिन्न स्वर = र् +  भिन्न स्वर यथावत- के उदाहरण

पितृ + आदेश = पित्रादेश,

मातृ +  आदेश =  मात्रादेश,

 पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा,

 मातृ + आज्ञा = मात्राज्ञा,

 पितृ + अंश = पित्रंश,

 मातृ + अंश = मात्रंश,

 पितृ + अनुमति = पित्रनुमति,

 मातृ + अनुमति = मात्रनुमति आदि।



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