परिभाषा-
जब दो समान अ/आ, इ/ई , उ/ऊ ह्रस्व-ह्रस्व या दीर्घ-दीर्घ स्वर या दीर्घ-ह्रस्व या ह्रस्व-दीर्घ स्वर मिलकर दीर्घ में बदल जाते है। वह दीर्घ स्वर सन्धि कहलाती है।
अ/आ + अ/आ= आ
इ/ई + इ/ई= ई
उ/ऊ + उ/ऊ= ऊ
अ/आ + अ/आ= आ के उदाहरण-
विद्या + अंचल = विंद्याचल,
श्रद्धा + अंजलि = श्रद्धांजली,
देव + असुर = देवासुर,
महा + आशय = महाशय,
क्रम + अनुसार = क्रमानुसार,
दया + आनन्द = दयानन्द,
धर्म + अर्थ = धर्मार्थ,
बाल्य + अवस्था = बाल्यावस्था,
राम + अर्चन = रामार्चन,
कमल + आसन = कमलासन,
चरण + अरविन्द = चरणारविन्द,
सिंह + आसन = सिंहासन,
पीत + अम्बर = पीताम्बर,
कंस + अरि = कंसारि,
मुर + अरि = मुरारि,
कृष्ण + अर्जुन = कृष्णार्जुन,
सत्य + अर्थ = सत्यार्थ,
कर्तव्य + अकर्तव्य = कर्तव्याकर्तव्य
मत्स्य + अवतार = मत्स्यावतार,
धर्म + अधर्म = धर्माधर्म,
अन्न + अभाव = अन्नाभाव,
वराह + अवतार = वराहावतार,
बाण + आहत = बाणाहत,
कृष्ण + आगमन = कृष्णागमन,
गीता + अध्याय = गीताध्याय,
तथा + अपि = तथापि,
मरण + आतुर = मरणातुर,
काम + आतुर = कामातुर आदि।
मही + इन्द्र = महीन्द्र,
महि + ईश = महीश,
यति + इन्द्र = यतीन्द्र,
रजनी + ईश = रजनीश,
कपि + ईश = कपीश,
प्रति + इक = प्रतीक,
अति + इत = अतीत,
प्रति + इक्षा = प्रतीक्षा,
परि + इक्षा = परीक्षा,
गिरि + ईश = गिरीश,
गिरि + इन्द्र = गिरीन्द्र,
नदी + ईश = नदीश, आदि।
लघु + उत्तर = लघूत्तर,
भू + ऊर्जा = भूर्जा,
भू + ऊपरि = भूपरि,
भानु + उदय = भानूदय,
भानु + ऊर्जा = भानूर्जा,
वधू + उल्लेख = वधूल्लेख,
वधू + उत्सव = वधूत्सव,
सिंधु + ऊर्मि = सिंधूर्मि,
अम्बु + ऊर्मि = अंबूर्मि,
सरयू + ऊर्मि = सरयूर्मि,
गुरु + उपदेश = गुरूपदेश आदि।
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