परिभाषाः-
इस समास का पहला पद संख्यावाचक होता है और समस्तपद पूरे समूह का बोध कराता है।
वह समास जिसका पहला पद संख्यावाचक विशेषण होता है तथा समस्तपद किसी समूह या फिर किसी समाहार का बोध करता है तो वह द्विगु समास कहलाता है। इसमें उत्तरपद प्रधान होता है, क्योंकि यह तत्पुरुष समास का ही उपभेद है।
द्विगु = दो गायों का समाहार
दोपहर = दो पहरों का समाहार
दोराहा = दो राहों का समाहार
त्रिवेणी = तीन वेणियों का समूह
त्रिकोण = तीन कोणों का समूह
त्रिलोक = तीन लोकों का समाहार
त्रिभुज = तीन भुजाओं का समूह
त्रिमूर्ति = तीन मुर्तियों का समाहार
त्रिलोक = तीन लोकों का समाहार
त्रिभुवन = तीन भुवनों का समाहार
त्रिफला = तीन फलों का समूह
तिरंगा = तीन रंगों का समूह
तिमाही = तीन माहों का समाहार
चौमासा = चार मासों का समूह
चतुर्वर्ण = चार वर्णों का समाहार
चतुर्भुज = चार भुजाओं का समाहार
चौगुनी = चार गुनी
चौखट = चार खूँटों का समूह
चौकोर = चार कोरों का समूह
चवन्नी = चार आनों का समाहार
चारपाई = चार पैरों का समूह
पंचतंत्र = पांच तंत्रों का समाहार
पंसेरी = पांच सेरों का समूह
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छमाही = छह माहों का समाहार
षड्गुण = षट् गुणों का समूह
सतसई = सात सौ पदों का समूह
सप्ताह = सप्त अहन् का समूह
सप्तसिंधु = सात सिन्धुओं का समूह
पंजाब = पाँच आबों (नदियों) का समूह
अठकोना = आठ कौनों का समाहार
अठन्नी = आठ आनों का समूह
अष्टधातु = आठ धातुओं का समूह
अष्टसिद्धि = आठ सिद्धियाँ का समाहार
नौलखा = नौ लाख का
नवरात्र = नौ रात्रियों का समूह
नवरस = नौ रसों का समूह
नवरत्न = नव रत्नों का समाहार
नवग्रह = नौ ग्रहों का समूह
नवरत्न = नौ रत्नों का समाहार
नवनिधि = नौ निधियों का समाहार
नवग्रह = नवग्रहों का समाहार
अष्टाध्यायी = आठ अध्यायों का समाहार
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