परिभाषा- जिस समास का उत्तरपद प्रधान (अर्थ की दृष्टि से प्रमुख) हो और पूर्वपद गौण हो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। इस समास में संबंधित कारक के विभक्ति चिह्नों का लोप हो जाता है।
कारक विभक्तियों के आधार पर तत्पुरुष समास के 6 भेद होते है।
2 करण तत्पुरुष समास
3 संम्प्रदान तत्पुरुष समास
4 अपादान तत्पुरुष समास
5 संबंध तत्पुरुष समास
6 अधिकरण तत्पुरुष समास
हस्तगत – हाथ को गत
जातिगत – जाति को गया हुआ
मुँहतोड़ – मुँह को तोड़ने वाला
दुःखहर – दुःख को हरने वाला
पदप्राप्त – पद को प्राप्त
ग्रामगत – ग्राम को गत
स्वर्गप्राप्त – स्वर्ग को प्राप्त
स्वर्गगत - स्वर्ग को गया हुआ।
परलोकगमन – परलोक को गमन
देशगत – देश को गत
जितेन्द्रिय – इंद्रियोँ को जीतने वाला
मरणातुर – मरने को आतुर
वयप्राप्त – वय (उम्र) को प्राप्त
यशप्राप्त : यश को प्राप्त।
ग्रंथकार : ग्रन्थ को लिखने वाला।
माखनचोर : माखन को चुराने वाला।
सम्मानप्राप्त : सम्मान को प्राप्त
परलोकगमन : परलोक को गमन।
शरणागत : शरण को आया हुआ।
सिरतोड़ : सिर को तोड़ने वाला।
गगनचुम्बी : गगन को चूमने वाला।
रथचालक : रथ को चलाने वाला।
जेबकतरा : जेब को कतरने वाला।
कठफोड़ा – काठ को फोड़ने वाला
जीतोड़ – जी को तोड़ने वाला
जीभर – जी को भरकर
लाभप्रद – लाभ को प्रदान करने वाला
रोजगारोन्मुख – रोजगार को उन्मुख
विकास्रोन्मुख - विकास को उन््मुख
सर्वज्ञ – सर्व को जानने वाला
चित्तचोर – चित्त को चोरने वाला
ख्याति प्राप्त – ख्याति को प्राप्त
वनगमन = वन को गमन
जनप्रिय = जन को प्रिय
मरणासन्न = मरण को आसन्न
मनोहर - मन को हरने वाला
जेबकतरा - जेब को कतरने वाला
धरणीधर– धरणी(पृथ्वी) को धारण करने वाला
विद्याधर - विद्या को धारण करने वाला
सम्पूर्ण व्याख्या सहित विडियो देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें-